वर्षा ऋतु के रोग एवं उनका निदान

बारिश के दिनों में हमें क्या क्या सावधानी बरतनी चाहिए

वर्षा ऋतु - भारतीय मौसम के अनुसार भारत में वर्षा ऋतु जून-जुलाई-अगस्त सितम्बर तक होती है, इस दौरान भारत में अच्छी वर्षा होती है। कई जगहों पर बारिश का प्रकोप इतना अधिक हो जाता है कि बाढ़ के हालात बन जाते हैं. और कई जगहों पर अच्छी बारिश होने से मौसम भी बदल जाता है। यह सर्दी की तरह है! वर्षा ऋतु - भारतीय मौसम के अनुसार भारत में वर्षा ऋतु जून-जुलाई-अगस्त तक होती है, इस दौरान भारत में अच्छी वर्षा होती है।  ( रोजाना की बारिश की जानकारी के लिए नीचे दि जानकारी को देखें। )

बारिश से बचाव के लिए क्या-क्या करते हैं - बारिश के पानी में भीगने से भी कई बीमारियां होती हैं और अशुद्ध खाना खाने से भी हमें ऐसी बीमारियां हो जाती हैं। कुछ मौसम में बदलाव के कारण बीमारियों का भी असर बन जाता है, बारिश में भीगने से चर्म रोग होने की आशंका रहती है, इसलिए बारिश में भीगने से बचें। ऐसी छोटी-छोटी सावधानियां बरतें, कपड़ों को अच्छी तरह सुखाएं और हल्के गीले कपड़े न पहनें, चर्म रोग होने की आशंका रहती है, इसलिए हमेशा सूखे कपड़े ही पहनें। बारिश में आप जहां भी जाएं घर से हमेशा छाता या रेनकोट पहनकर ही निकलें ताकि बारिश का पानी आपके शरीर पर न गिरे और आप इन बीमारियों से मुक्त रहें।

बरसात के मौसम में होने वाली बीमारियां व सावधानी 

दस्त और आंत्रशोथ
पेट में दर्द और ऐंठन
आंत्र ज्वर (टाइफाइड)
पेचिश
हैज़ा
मस्तिष्कावरण शोथ
गिनी-कृमि रोग
हेपेटाइटिस

दस्त और आंत्रशोथ- इस मौसम में में दस्त होना आम बात है । हम उल्टा सीधा खा लेने के कारण हमें दस्त हो जाता है । बेसन से बने हुए आइटमओं का उपयोग ज्यादा करने से भी दस्ती हो जाता है। इसलिए बारिश में उल्टा सीधा ना खाएं और बेसन से बने हुए पदार्थों का कम उपयोग करें।

पेट में दर्द और ऐंठन - सर्दी में ज्यादा भीग जाने के कारण वह समय पर खाना ना खाने के कारण भी हमें पेट से संबंधित समस्याएं हो जाती है इसलिए हमें चाहिए कि भीगने से बचें और समय पर खाना खाएं।

आंत्र ज्वर (टाइफाइड) - वर्षा का मौसम जब आता है तो कई जगह वर्षा का पानी जमा हो जाता है और उनमें मच्छर पैदा हो जाती है इसके कारण हमें कई बीमारियों का सामना करना पड़ जाता है जिसमें से टाइटफाइड और बुखार आम बात है जब यह मच्छर पैदा होते हैं तो यह हमें खाने लगते हैं और इनके कारण हमें टाइफाइड मलेरिया जैसी समस्याएं पैदा होने लगती है इसलिए जब भी इस प्रकार की समस्या पैदा हो हमें तुरंत डॉक्टर से सलाह लेना चाहिए और घर पर बना काढा का उपयोग भी इसमें उपयोगी होता है इसलिए हमें कभी भी हमारे घर के आसपास बारिश का पानी इकट्ठा ना होने दें और मच्छरों को अपने आसपास पैदा ना होने दें इससे हम इस प्रकार की बीमारी से बचे रहेंगे।

पेचिश - पेचिश रोग दूषित खाना खाने के कारण होता है यह हमारे मल को खराब कर देता है यह बिना हाथ धोए खाना खा लेने से भोजन दूषित हो जाता है और इस प्रकार से यह रोग होता है इसलिए हमेशा ताजा खाना खाए और शुद्धता बरते।

हैज़ा- मुख्य लक्षण दस्त और निर्जलीकरण हैं। शायद ही कभी, गंभीर मामलों में सदमा और दौरे पड़ सकते हैं। हेजा एक संक्रामक बीमारी है जो कि दूषित भोजन के कारण हो जाती है यह संक्रमण होने पर हमें तुरंत इलाज करवा लेना चाहिए क्योंकि यह बीमारी बनने पर बहुत ही घातक होती है इसलिए हमें इस मौसम में दूषित भोजन नहीं करना चाहिए और साफ सफाई पर अधिक ध्यान देना चाहिए। उपचार में पुनर्जलीकरण, IV तरल पदार्थ और एंटीबायोटिक्स शामिल हैं।

मस्तिष्कावरण शोथ - इस बीमारी में रीड की हड्डी में दर्द मस्तिष्क में हल्का दर्द रहता है इस बीमारी मैं गर्दन में अकड़न जैसे लक्षण होते हैं मस्तिष्कावरण बैक्टीरिया के कारण होता है यह ऑटोमेटिक कुस समय में अच्छे रहन सहन और शुध्द खान पीन से सही हो जाता है।

गिनी-कृमि रोग- गिनी रोग परजीवी संक्रमण के कारण होता है यह कुछ कारणों में पानी के साथ शरीर में प्रवेश कर जाता है जिसके कारण शरीर में पर जीवित कीड़े का रूप ले लेता है अंतर यह मिट जाता है लेकिन कीड़े आमतौर पर हाथ पैरों में चले जाते हैं और कभी-कभी किसी शरीर कई जगह शरीर में दिखाई दे सकते हैं भारत एशिया के कुछ हिस्सों में इसका प्रकोप पाया जाता है। इसलिए हमेशा पानी को गर्म उबालकर और छानकर पीना चाहिए ताकि इस प्रकार के रोगों से बचे रहें।

हेपेटाइटिस - जब किसी व्यक्ति के लिवर में सूजन आ जाता है इस प्रकार के अवस्था को हेपेटाइटिस कहा जाता है। मुख्य लक्षण बुखार भोजन में अरुचि पेट में दर्द होना जी मचलाना मांसपेशियों में दर्द आंखों त्वचा संगत में पीलापन पैरों में सूजन आना सर अनावश्यक थकान महसूस होना इस प्रकार के इसके लक्षण है। बल्ड टेस्ट से इसकी पहचान की जा सकती है इसकी पहचान होते ही डॉक्टर से सलाह ले और इसका इलाज तुरंत कराएं।

सर्दी जुकाम और बुखार - इसके अलावा जैसे कि घर में ठंडा गरम खा लेने के कारण भी या जलवायु परिवर्तन के कारण भी आपको यह रोग हो जाता है तो आपको इसका निदान किस प्रकार से करना चाहिए आपको इस मौसम में हमेशा हल्दी के साथ काढा का उपयोग करना चाहिए जिसमें कि आप सभी प्रकार की आवश्यक सामग्री डालकर अच्छा काढ़ा तैयार करें यह भी पढ़ें:ये 5 बड़े फायदे देखकर कर सकते हैं गरम पानी पीना शुरू। और उसे सुबह और शाम को तो दो दो चम्मच पिए ताकि आप मैं दिन भर ताजगी बनी रहे और इस प्रकार के रोगों से भी आप मुक्त रहें इस प्रकार से आप इस मौसम में होने वाली बीमारियों से आसानी से बच सकते हैं !

नॉर्मल सर्दी जुकाम और बुखार होने पर आप घरेलू इस प्रकार का उपचार कर सकते हैं जैसे कि आप सरसों का तेल शरीर पर मालिश कर सकते हैं या फिर आप काढा उपयोग के साथ-साथ घर में आप हर्बल चाय का उपयोग भी कर सकते हैं! इस प्रकार के छोटे-छोटे घरेलू नुस्खे से आप इस प्रकार की बीमारी से निजात पा सकते हैं अगर फिर भी आपके इस प्रकार की बीमारी के ज्यादा होने की संभावना बनी रहती है और आप घर पर इन घरेलू उपचारों से सही नहीं होते हैं तो आप डॉक्टर की सलाह ले और अपने आप को स्वस्थ रखें तरोताजा रहे और अपने आप को सुरक्षित रख सकते हैं !

बारिश में क्या खाना चाहिए। बारिश के मौसम में हमेशा ड्राई फ्रूट का उपयोग कर सकते हैं यह इस मौसम में सही माना गया है ।
हर्बल चाय को भी आप बरसात में स्वास्थ्य व मन की शांति के लिए पी सकते हैं।
बारिश के मौसम में पानी को अच्छी तरह उबालकर ठंडा करके पिए या फिर पानी को गुनगुना कर कर भी आप भी सकते हैं यह भी इस मौसम में लाभदायक होता है।
गरम सूप पी सकते हैं।
ताजा फलों का सेवन स्वास्थ्य के लाभदायक होता है ।
हल्दी वाला दूध पी सकते हैं ।
ताजा हरी सब्जियां इस मौसम में आप खाएं वह अपने आप को स्वस्थ और तरोताजा रखें।

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